| 1. | श्लेष्मल कला में शल्क-स्तर, स्वच्छस्तर एवं कणमय स्तर नहीं होते.
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| 2. | श्लेष्मल कला के बाहर वह प्रांत है जो अधोश्लेष्मल (
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| 3. | आमाशय की श्लेष्मल कला की ग्रंथियाँ यह रस उत्पन्न करती हैं।
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| 4. | नकसीर का कारण नासासुरंगों में कहीं पर श्लेष्मल कला में व्रण (
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| 5. | नीचे की ओर छिद्र पर श्लेष्मल कला और त्वचा का संगम (
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| 6. | सबसे भीतर श्लेष्मल कला का स्तर रहता है, जिसमें सिकुड़नें पड़ी रहती हैं।
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| 7. | ओष्ठ पर त्वचा से श्लेष्मल कला पर परिवर्तन विचित्र रूप से देखने को मिलताहै.
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| 8. | नकसीर का कारण नासासुरंगों में कहीं पर श्लेष्मल कला में अल्सर बनना होता है।
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| 9. | नकसीर का कारण नासासुरंगों में कहीं पर श्लेष्मल कला में व्रण (ulcer) बनना होता है।
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| 10. | नीचे की ओर छिद्र पर श्लेष्मल कला और त्वचा का संगम (mucocutaneous Junction) है।
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